आदित्य कुमार वर्मा/बलिया: आपने थानों पर सिपाही और होमगार्ड को रखवाली करते तो बहुत देखा होगा लेकिन यूपी में एक ऐसा भी मौजूद है जहां मुर्गे थाने की रखवाली करते हैं। मान्यताएं हैं कि इन मुर्गों के होते हुए थाने पर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता। ना ही किसी प्रकार की कोई अनहोनी हो सकती है। थाने पर मुर्गों की ये रोचक कहानी उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के सिकंदरपुर थाने की है। जहां सैकड़ो मुर्गे थाना परिसर में बेखौफ घूमते रहते हैं और किसी की मजाल नहीं है कि कोई इन मुर्गों को हाथ लगा दे। दरअसल यहां कुछ 350 मुर्गे हैं जिन्हें श्रद्धालुओं ने अपनी मुरादें पूरी होने पर यहां चढ़ाया था और अब वे बाबा के सिपाही के रूप में थाने पर पहरा देते हैं।
बलिया का अनोखा थाना
दरअसल सिकन्दरपुर थाने के अंदर एक शहीद बाबा की मजार है। मजार के खादिम कमरूद्दीन बताते हैं कि इस मजार पर लोग मन्नतें मांगते हैं और मन्नतें पूरी होने पर यहां जिंदा मुर्गे चढ़ाए जातें हैं। मान्यताएं हैं कि बाबा थाने के कोतवाल बनकर थाने और नगर की रक्षा करते हैं और मुर्गे बाबा के सिपाही बनकर किसी भी अनहोनी का होने से पहले ही संकेत देते हैं। अगर किसी भी प्रकार की अनहोनी होनी होती है तो ये पहले ही शोर करके उसका संकेत कर देते हैं।
बाबा थाने के कोतवाल
कमरूदीन बताते हैं की बाबा थाने के कोतवाल की तरह ही थाने के इंचार्ज और स्टाफ सहित पूरे नगर की रक्षा करते हैं। थाने में कोई भी काम बाबा को मत्था टेके बिना शुरू नहीं होता। यहां तक की थाने के प्रभारी भी रोज सुबह पहले बाबा का वंदन करते हैं फिर अपनी ड्यूटी। थाना प्रभारी हर गुरूवार को यहां चादर चढ़ाते हैं और यहां का स्टाफ भी हर काम सुरू करने से पहले बाबा का वंदन करता है।
मन्नत पूरी होने पर चढ़ाए जाते हैं मुर्गे
कमरूदीन बताते हैं की बाबा की मजार से कोई खाली हाथ नहीं जाता, यहां सबकी मुराद पूरी होती है। मान्यताएं हैं कि यहां जो भी सच्चे मन से कोई मन्नत मांगता है, बाबा उसकी मुराद जरूर पूरी करते हैं। जिसके बाद लोग यहां जिंदा मुर्गे उनकी चोंच रगड़कर चढ़ाते हैं, जिसके बाद वह मुर्गे यहां ऐसे ही विचरण करते रहते हैं।
मुर्गों का अंतिम संस्कार
कमरूदीन बताते हैं की ये मुर्गे बाबा के सिपाही हैं और इनको कोई हाथ भी नहीं लगता। जबतक मुर्गे जिंदा रहते हैं ऐसे ही विचरण करते हैं और अगर किसी मुर्गे की मृत्यु भी हो जाती है तो यहां के स्टाफ बकायदा उसको सुपुर्द-ए-खाक करते हैं। अगर कोई मुर्गों को हानि पहुंचाता है तो उसके साथ कोइ बड़ी अनहोनी या उसकी मृत्यृ हो जाती है।
गंगा जमुनी तहजीब वाला मजार
कमरूदीन बताते हैं कि बाबा मुराद पूरी करने में कोई भेदभाव नहीं करते। यह मजार भारत की खुबसूरती यानी गंगा जमुनी तहजीब के लिए भी जानी जाती है। क्योंकि यहां सभी धर्मों के लोग मन्नतें मांगने और बाबा को मत्था टेकने आते हैं और यहां बाबा सबकी मुरादें पूरी करते हैं। यहां हर साल 17 मई को शहीद बाबा का उर्स होता जहां थाने में मेला लगता है और भारी संख्या में श्रृद्धालु यहां बाबा का पूजन बंधन करने आते हैं। जिनमे हिंदू और मुस्लिम दोनो ही धर्म के लोग सामिल होते हैं।
पहले मजार फिर बना थाना
कमरूदीन बताते हैं कि यहां स्थित मजार को लेकर मान्यताएं हैं कि जब सन् 1882 में सिकन्दरपुर थाने का निर्माण कराया जा रहा था। तब थाने के एक कोने की दीवार रात को गिर जाता करती थी। थक-हारकर लोग जब एक फकीर की शरण में गए तो उन्होंने यहां शहीद बाबा को स्थान देने व मजार बनाने की सलाह दी। जिसके बाद थाने के एक कोने में शहीदी बाबा का मजार फिर थाने का निर्माण कराया गया। जिसके बाद से बाबा यहां थाने के कोतवाल के रूप में शहर और थाने की रखवाली करते हैं।