Krishna Gupta
प्रयागराज महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो चुका है। इस बार महाकुंभ एक ऐसी घटना का गवाह बना जिसने सनातन धर्म और भारतीय परंपरा की गहराई को दर्शाया। आगरा के दिनेश ढाकरे और रीमा ढाकरे अपनी 13 साल की बेटी गौरी के साथ महाकुंभ में शामिल हुए। प्रयागराज की पवित्र भूमि और अध्यात्मिक ऊर्जा ने गौरी को इतना प्रभावित किया कि उसने अपने माता-पिता से घर वापस न जाने और पूरी तरह से अध्यात्म की राह पर चलने की इच्छा जताई। बेटी की इस इच्छा का सम्मान करते हुए दिनेश और रीमा ढाकरे ने अपनी बेटी गौरी को जूना अखाड़े को समर्पित कर दिया।
जूना अखाड़े के संत कौशल गिरी ने इस घटना को सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का महान उदाहरण बताते हुए कहा गौरी और उसके माता-पिता का यह निर्णय अद्वितीय है। ऐसा साहस और त्याग बहुत कम लोग कर पाते हैं। यह पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा है। हम ढाकरे परिवार को नमन करते हैं गौरी ने कहा कि उसने इस निर्णय से जीवन की सच्ची खुशी और शांति को महसूस किया है।
माता-पिता ने भी इसे बेटी के लिए सर्वोत्तम मानते हुए सहर्ष स्वीकार किया। महाकुंभ में यह घटना लोगों के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है। यह सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है बल्कि सनातन संस्कृति और उसके गहरे मूल्यों की मिसाल है जो पूरे समाज को प्रेरित कर रही है।