Ray Of Science: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 116 किलोमीटर दूर गोंडा जिले के रहने वाले राजेश मिश्रा गांवों में घूम-घूमकर ग्रामीण बच्चों को विज्ञान के प्रति जागरूक करते हैं। गोंडा के एक निजी स्कूल में टीचर राजेश बिना किसी की मदद से खुद के ख़र्च पर दूर-दूर के गांव में जाकर बच्चों और बड़ों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। अब तक राजेश गोंडा के साथ ही आसपास के जिलों जैसे बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच के लगभग 1000 गांव में जा चुके हैं। देखते ही देखते राजेश की पहचान कई गांवों में हो गई। बच्चे से लेकर बड़े तक हर कोई इनका मुरीद हो गया।
‘Ray Of Science’ साइंस क्लब हो रहा प्रसिद्ध –
न कोई फंडिंग एंजेसी न कोई बड़ा नाम न बड़ा सा दफ्तर और न ही गाड़ी घोड़ा की शान,लेकिन हजारो स्कूलो,सैकड़ो गांवो और दो जिलो तक के निवासियों तक विज्ञान का ज्ञान फैलाने के लिए कटिबद्ध है राजेश मिश्रा का ” रे आफ साइंस” साइंस क्लब ।
आसान नहीं था राजेश मिश्रा के लिए ये सफर :
राजेश मिश्रा के लिए ‘विज्ञान की रोशनी (Ray Of Science)’ फैलाने का ये सफर जरा भी आसान नहीं रहा। सब कहते थे बेवकूफी का ख्याल है। गांव के लोगों को विज्ञान सिखायेगा ? गांव वालो मे ऐसा है ही क्या जो उनको विज्ञान सिखाया जाये और गांव मे ऐसा है ही कौन जो विज्ञान सीखेगा?
यही तो सोचते है अधिकांश लोग गांव के बारे मे। गांव अब भी विज्ञान के ज्ञान से कोसो दूर है। स्कूल है, लेकिन लैब नहीं। शायद वो जानना ही नहीं चाहते है कि “बिना प्रयोग के कोई विज्ञान संभव ही नहीं है।”आज भी ज्यादातर जगहो पर सांप काटने पर ओझा ,भूत आने पर तांत्रिक और ग्रहण को दैवीय आपदा माना जाता है। गांवो और ग्रामीण बच्चों को भी जरूरत है आधुनिक विज्ञान संचार की लेकिन विज्ञान संचार करना कहां आसान था।
लोग यही कहते कि कोशिश बहुत अच्छी है, लेकिन कोई फायदा नहीं। लेकिन बात जिद की थी ।2011 मे खुद के कुछ पैसो से ‘रे आफ साइंस (Ray Of Science)’ की शुरुआत हुई। एक ऐसा असंभव सपना जिसको पंसद सबने किया लेकिन खारिज भी सबने किया।परंतु ‘रे आफ साइंस (Ray Of Science)’ का कार्य निरंतर चल रहा है।
फिर शुरुआत हुयी “साइंस आन बाइक” की।स्वयं के पैसो से एक बाइक लेकर उसको ‘लैब आन बाइक (Lab on Bike) मे बदल दिया। ये एक ऐसा नवाचार था जिसने ग्रामीण क्षेत्र मे विज्ञान संचार मे क्रांति ला दी। मोटर साइकिल पर विज्ञान गतिविधियों का सामान लेकर सड़कों से होते हुए गांव की गलियों, स्कूलो तक विज्ञान का ज्ञान फैलने लगा। ‘लैब आन बाइक’ की विशेषता यह है कि यह कम खर्च मे ,छोटे से छोटे रास्तों पर और कम रख रखाव मे भी दूर तक विज्ञान संचार करने मे समर्थ है। साइंस आन बाइक द्वारा विभिन्न विज्ञान गतिविधियां की जाती है।
वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा जागरूकता फैलाकर अंधविश्वास को दूर करने में लगे हैं राजेश मिश्रा:
33 वर्षीय विज्ञान संचारक राजेश मिश्रा वंचितों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा समाज से अंधविश्वास दूर करने और बच्चों मे विज्ञान के प्रति जागरूकता लाने के काम मे लगे हैं। राजेश मिश्रा के अनुसार,दुनिया में कुछ भी चमत्कार नहीं होता है और अगर कुछ चमत्कार जैसा हुआ है, तो वह सिर्फ़ तब तक है जब तक हम उसके पीछे का विज्ञान नहीं जानते।।
विज्ञान जागरूकता कार्य मे प्रशासन कोई मदद नहीं करता। राजेश के अनुसार अगर प्रशासन कुछ मदद करता तो विज्ञान जागरूकता का कार्य और बड़े पैमाने पर हो सकता है। जिससे अधिक से अधिक ग्रामीणों और बच्चों तक विज्ञान का ज्ञान पहुंच पाता। और वो अंधविश्वास के जाल से बाहर निकल पाते।
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