Saturday, January 11, 2025
Google search engine
Homeहेल्थ और फिटनेसInternational Day of Yoga: करें योग रहें निरोग

International Day of Yoga: करें योग रहें निरोग

योग साधना के आठ अंगों में प्राणायाम का प्रमुख स्थान है इसके द्वारा शरीर में होने वाले सभी व्याधियों का निदान सम्भव है

Pankaj Srivastav 

 Gorakhpur News: गोरखनाथ मन्दिर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ योग संस्थान एवं महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् गोरखपुर द्वारा आयोजित साप्ताहिक योग शिविर एवं शैक्षिक कार्यशाला में, “प्राणायाम” विषय पर चर्चा हुई। इस दौरान मुख्यवक्ता के रूप में उपस्थित डाॅ० प्रमोद यादव ने कहा कि योग साधना के आठ अंगों में प्राणायाम का प्रमुख स्थान है इसके द्वारा शरीर में होने वाले सभी व्याधियों का निदान सम्भव है । उन्होंने प्राण के दश प्रकारों का वर्णन करते हुए शरीर में उनके कार्यों तथा उनके रुकावट से होने वाले रोगों की जानकारी देते हुए बताया कि प्राणायाम करने से प्राण के सभी प्रकार सही रूप में रहते हैं और साधक पूरे जीवन निरोग रहता है। उन्होंने कहा कि आसन शारीरिक क्रिया है और प्रत्याहार, धारणा आदि मानसिक साधन हैं। प्राणायाम की क्रिया उक्त दोनों प्रकार के साधनों के बीच का साधन है।

यह शारीरिक भी है और मानसिक भी, क्योंकि इससे शरीर और मन दोनों का निग्रह होता है। शारीरिक दृष्टि से प्राचीन काल से ही ऋषियों महायोगियों ने प्राणायाम को गौरव दिया है। योगसाधना के लिए जिस शारीरिक क्षमता की आवश्यकता है, वह अकेले प्राणायाम से ही स्थापित हो सकती है। डॉ. प्रमोद ने कहा कि प्राणायाम के माध्यम से हमारा शरीर ओजस्वी होता है और हम प्राणायाम की साधना से अपनी शारीरिक क्षमता प्राप्त करने में समर्थ होते हैं। इतना ही नहीं मानसिक समता स्थापित करने में भी प्राणायाम को सहायक माना गया है। उन्होंने कहा कि काम, द्वेष, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य, ईर्ष्या, घृणा, शोक आदि मनोविकार ही मानसिक शान्ति को भंग करते हैं और ये विकार हमारे मन के उस स्तर में उत्पन्न होते हैं जहाँ चेतनता अथवा ज्ञान अर्धजागृत रहता है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments