Shailendra Kumar
Electricity Problem: जनपद मे विधुत विभाग का एक नया कारनामा प्रकाश मे आया है, जहाँ मामूली विवाद के चलते लगभग 3 माह से विधुत सप्लाई ठप्प पड़ी हुई है और विधुत विभाग के अधिकारी व कर्मचारी कुम्भकर्णी नींद सो रहे है। गाँव मे दो पक्षों के आपसी विवाद के चलते विधुत विभाग के अधिकारी पूरे गांव की ही बिजली आपूर्ति बंद कर दिए हैं। बार बार उपभोक्ताओं द्वारा शिकायत करने के बाद भी आज तक सप्लाई बहाल नहीं हो पाई। लगभग 200 से अधिक की आबादी वाले इस राजस्व गांव के लिए लोग विधुत आपूर्ति बहाल कराने के लिए जिलाधिकारी से लेकर विधुत विभाग के एसी तक मिल चुके है लेकिन फरियाद लेकर दौड़ रहे हैं। उपभोक्ताओं की फरियाद सुनने तक कोई तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री से लेकर समाधान दिवस तक यह प्रकरण पहुंचा चुका है लेकिन विधुत सप्लाई आजतक नहीं बहाल हुई विधुत विभाग के जिम्मेदार अधिकारी गांव में जाकर मौके की जांच कर मामले को निपटाना नहीं चाहते बल्कि कार्यालय में ही बैठकर ही आपसी विवाद बताकर सुनने से इन्कार कर दिया। 3 माह से आपूर्ति बंद के मामले में उनसे सवाल किया गया है तो वह उपर नीचे देखने लगे ।जैसे उनकी हलक ही सूख गई। वह कुछ भी बोलने से भागने लगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बहादुरपुर विद्युत उपकेंद्र से जुड़े चंदरपुर गांव का है। इस गांव में लंबे समय से पोल, तार ट्रांसफार्मर की व्यवस्था है। घर घर बिजली के तार दौड़ाए गए हैं। आपूर्ति भी हो रही थी । गली से घरेलू केबल खीचनें को लेकर साढ़े तीन माह पहले गांव के दो पक्षों में विवाद हो गया। एक पक्ष के लोगों का कहना है कि केवल उनकी पटरी के तरफ से जाएगी तो दूसरे पक्ष का कहना है कि नहीं उनके तरफ से होकर जाए। इसी मामूली सी बात को लेकर दोनो पक्ष अडिग हैं। इनके घर बिजली नहीं पहुंची तो इन्होंने पूरे गांव की ही बिजली गुल कर दी। गांव के बाहर लगे हाईटेंशन के जंफर को तोड़ दिया। गांव के कुछ लोग दोबारा जंफर को जोडना चाहे तो यह लोग उनसे विवाद पर अमादा हो गए ।मारपीट से बचने के लिए गांव के अन्य लोगों ने विभागीय अधिकारियों से गांव की बिजली बहाल कराने की अर्जी लगाई। अपना दर्द सुनाया कि हम लोग बिल दे रहे हैं हमे तो बिजली मिले । दो के विवाद में क्यों रात अंधेरे में काटनी पड़े । मोबाईल चार्ज कराने के लिए दूसरे गांव जाना पड़ रहा है। लेकिन इन उपभोक्ता की न तो विभागीय अधिकारियों ने ही समाधान दिवस में सुना गया। साढ़े तीन माह से पूरा गांव अंधेरे में हैं।
ग्राम प्रधान निशा सिंह भी विभागीय अधिकारियों को पत्र लिख चुकी हैं फिर भी जिम्मेदार बेखबर बने हुए है। गांव के लोग परेशान है उन्हे तमाम समस्याएं झेलनी पड़ रही है। विभाग को बस बिल से मतलब है, बिजली मिले या न मिले इससे नहीं । इस बात की गवाही वहां के बिजली के पोल भी दे रहे हैं। उन पर झाड़ की लताएं चढ़ गई हैं। दूर से देखने पर वह बिजली के पोल लग ही नही रहे हैं। विवाद करने वाला एक पक्ष तो एक किलोमीटर दूर दूसरे गांव से केबल खींचकर अपने घर की आपूर्ति कर रहा है। लेकिन गांव में लगे ट्रांसफार्मर से लोगों के घरों की आपूर्ति नहीं होने दे रहा है। आखिर विभागीय अधिकारी इस पर क्यों कार्यवाही नहीं करना चाह रहे हैं ।क्या उसका खौफ है या फिर कुछ और एक बड़ा सवाल है। दो के विवाद में पूरे गांव की बिजली गुल कर देना कितना सही है अब तो यह विभाग ही जाने ।