धर्म और आध्यात्मिक के शहर बनारस में अक्सर विदेशी धार्मिक हिंदू रीति से सात जन्मों के बंधन में बधने के लिए आते हैं. वही ऐसा ही मौका कल महाशिवरात्रि के मौके पर काशी में देखने को मिला. यहां पर बीते 10 सालों की दोस्ती को जन्म जन्म के साथ में बदलने के लिए, इटली की रहने वाली दुल्हन ग्रैजिया और कार्डियोलॉजी के स्पेशलिस्ट डॉक्टर पाउलो, बाकायदा सात फेरे लेकर जन्मो जन्म के बंधन में बांध दिए गए.
दरअसल वाराणसी के गोदौलिया क्षेत्र में रहने वाले धन्नी गुरु ने अपने ही घर पर इस विदेशी जोड़े की शादी करवाई है. महाशिवरात्रि के मौके पर इटली के इस जोड़े ने वैदिक रीति रिवाज का पालन करते हुए, शादी की सभी रस्मों को निभाया. सबसे बड़ी बात यह है की धूम धड़ाके से अपनी शादी करने वाले इस जोड़े ने, विदेश की संस्कृति को छोड़कर काशी की सभ्यता और हिंदू सनातन धर्म के अनुसार अपने वैवाहिक कार्यक्रम को पूर्ण करने की प्लानिंग की, सफारी सूट पहनकर दूल्हा पहुंचा तो दुल्हन भी लाल जोड़े में दिखाई दी.
सिंदूर कन्यादान की भी हुइ रस्में
हिंदू परंपरा के अनुसार लव पचने की रस्म से लेकर सिंदूर कन्यादान की रस्में भी निभाई गई. विदेश से दुल्हन का कोई रिश्तेदार नहीं आ पाया तो, मुंह बोले पिता और मुंह बोले भाई ने रस्मों को पूरा किया. पुरोहित धन्नी गुरु ने बताया कि, इस दुल्हन और दूल्हे को अपना गोत्र नहीं पता था. तो पुरातन संस्कृति और सभ्यता के अनुसार ऐसी स्थिति में कश्यप गोत्र के जरिए सारे धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण कराए जाते हैं. शादी के दौरान पंडित द्वारा पढ़े जा रहे मंत्र को दुल्हन के ट्रांसलेटर दोस्त ने ट्रांसलेट करके उसे उसके मतलब को भी समझाया. दरअसल वाराणसी में यहां की संस्कृति और सभ्यता से इटली में काम करने वाले डॉक्टर पॉल और उनकी 10 साल पुरानी दोस्त ग्राजिया काफी प्रभावित थे. इन दोनों ने अपने 10 साल पुरानी दोस्ती को काशी में ही वैवाहिक रूप में आगे बढ़ाने की प्लानिंग की थी. वह इसके लिए ही वह काशी आए थे.
लोगों ने इस विदेशी जोड़े को आशीर्वाद दिया
दुल्हन और दूल्हे के परिवार नहीं आ पाए तो, यहां के लोगों ने ही उनके परिवार के रूप में सारी रस्म को अदा किया. विश्वनाथ मंदिर में रोज भोग और आरती लेकर जाने वाले नारकोट्यम क्षेत्र के लोगों ने भी पहुंचकर इस विदेशी जोड़े को आशीर्वाद दिया. लगभग 2 घंटे के रसम रिवाज के साथ ही सात वचनों को निभाने का वादा करके, इस जोड़े ने शादी संपन्न की शादी संपन्न होने के बाद दूल्हे डॉक्टर पॉल और ग्रैजिया ने बताया कि, यह दोनों लगभग 10 साल से दोस्त हैं. 3 मार्च को उन्होंने इटली में क्रिश्चियन रीति रिवाज से चर्च में शादी की थी. लेकिन इच्छा थी कि, सनातनी बनाकर हिंदू रीति रिवाज से शादी करें इसलिए दोनों वाराणसी पहुंचे थे.
कन्यादान का भी रस्म पुरा
स्थानीय निवासी पदमा देवी से संपर्क किया और उन्होंने ही बेटी के रूप में ग्रेसिया को अपना कर उसका कन्यादान किया. जबकि दूल्हे के पिता के रूप में विजय जो उसके लोकल दोस्त हैं. वह दिखाई दिए और उन्होंने सारी रासमूल्हे की तरफ से अदा की, जबकि ग्रैजिया के एक मित्र अक्षत ने भाई बनकर लव पहुंचने का काम किया. द्वारा चार वरमाला लव पर अच्छाई फेर सिंदूरदान और विदाई की पूरी रस्म अदा की गई. ग्रैजिया का बनारस से पुराना नाता है. उन्होंने वाराणसी में ही गुरु मंत्र भी लिया हुआ है. इसलिए वह यहां की परंपरा से काफी प्रभावित रहती हैं.